नरबलि - आंतक की शुरुआत 5
मुखिया को अनुसुईया काकी के घर में दाखिल हुए कुछ ही देर बीते थे कि सब गांववाले एक -एक कर घर से बाहर निकल रहे थे और अनुसुईया काकी का रोना भी अचानक से बंद हो गया था जिसे हरीश ने गौर किया और अपने पास से गुजर रहे एक बुजुर्ग व्यक्ति के पास जाकर उनसे कहा - काका जरा सुनिये तो , आपसे कुछ पूछना था?
बुजुर्ग व्यक्ति - क्या पूछना है बेटा ?
हरीश - ज्यादा कुछ नहीं काका बस यही जानना था कि मुखिया जी के घर में दाखिल होते ही आप सब क्यूं बाहर आ गये और अनुसुईया काकी जो इतने समय से रो रही थी किसी के भी चुप कराने से चुप नहीं हो रही थी |
लेकिन मुखिया जी के घर में दाखिल होते ही कुछ समय बाद ही अनुसुईसा काकी एकदम से चुप हो गई | ऐसा क्या हुआ घर के अंदर ? काका ! क्योंकि आप ही सबसे आखिर में घर से बाहर आये हैं तो आप कुछ तो जानते होंगे !
बुजुर्ग व्यक्ति - मैं घर से जरूर आखिर में बाहर आया हूं लेकिन मैं भी ज्यादा कुछ नहीं जानता |
आप जो भी जानते हैं वहीं बता दीजिए ! हरीश ने कहा और बुजुर्ग की ओर देखने लगा |
थोड़ा घबराते हुए बुजुर्ग व्यक्ति ने बताना शुरू किया - मुखिया जी ने घर के अंदर आते ही हम गांववालों को अपने - अपने घर जाने के लिए कहा ! तुम तो जानते हो कि कोई भी मुखिया की बात को नहीं काटता इसीलिए जितने भी गांववाले अनुसुईया और गंगाराम से मिलने गये थे सब बाहर आ गये | लेकिन मैं ठहरा बुजुर्ग आदमी , मैं धीरे - धीरे घर के बाहर निकलने लगा |
तभी मैंने देखा कि मुखिया जी वहीं लकड़ी के कुर्सी में बैठ गये और अनुसुईया और उसके पति गंगाराम दोनों ने हाथ जोड़ कर घुटनों के बल बैठ गये | उसी समय मुखिया जी ने अपने दोनों हाथ उन दोंनो के सिर में रखकर कोई मंत्र पढ़ रहे थे | जिसे मैंने घर से निकलते हुए देख लिया था |
उसके बाद क्या हुआ मैं नहीं जानता ! ये सब बता कर वो बुजुर्ग व्यक्ति वहां से चला गया | उन बुजुर्ग व्यक्ति के जाते ही
हरीश की मित्र मंडली हरीश के पास आकर उसके और बुजुर्ग व्यक्ति के बीच क्या बातचीत हुई पुछने लगे |
हरीश ने गंभीर होते हुए वो सब बातें बता दी जो उन बुजुर्ग व्यक्ति ने कही थी |
जिसे सुनकर गजा ने कहा - लगता है हम जिसे ढूंढ रहे हैं वो मुखिया ही हो ! तुम्हें क्या लगता है हरीश ? गजा ने पूछा !
हरीश - हो भी सकता है और नहीं भी , क्योंकि हम बिना किसी सबूत के मुखिया जी पर शक नहीं कर सकते | लेकिन हम यूं हाथ पर हाथ धरे बैठे तो नहीं रह सकते ना ? मुरली ने थोड़े ऊंचे स्वर में कहा | गजा ने तुरंत उसे चुप होने के लिए बोला | तभी हरीश ने सब को शांत रहने के लिए कहा - ये जगह बात करने के लिए सही नहीं है | फिलहाल अभी चुप रहो क्योंकि मुखिया जी को अनुसुईया काकी के घर में गये काफी समय हो गया है और वो कभी भी घर के बाहर आते होगें |
अगर वो बच्चे उठाने वाले हुए और हमें ये सब बातें करते हुए देख - सुन लिया तो तुम्हें पता है , हम कितनी बड़ी मुसीबत में फसेंगे |
लेकिन जो भी है हमें अब से मुखिया जी के गतिविधियों पर ध्यान देना होगा |
अब चलों यहां से हमें कुछ सामानों की जरूरत पड़ेगी | और चारों वहां से चले गये |
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इधर मुखिया जी ने मंत्र पढ़ना बंद कर अपनी आँखे खोली और अनुसुईया और उसके पति गंगाराम से कहा तुम दोनों ने जो बलिदान दिया है वो व्यर्थ नहीं जायेगा | शुद्र देव कि क्रिपा से एक बार फिर तुम्हरी गोद भरेगी | ऐसा कह कर मुखिया (जिसका पूरा नाम रामाधर राव हैं ) ने अपनी दोनों आंखे बंद कर के हाथ सीधा कर मुठ्ठी बंद करके कुछ मंत्र पढ़े और जब आंखे खोली तो उसके हाथों में राख जैसा कुछ था |
मुखिया रामाधर राव ने वो राख अनुसुईया और उसके पति को देकर कहा कि इसे आप ग्रहण करें , इसके प्रभाव से आपको संतान की प्राप्ति अवश्य होगी | ये कह कर वो राख अनुसुईया और उसके पति के हाथों में दे दी | जिसे अनुसुईया और उसके पति ने बिना कोई ना नुकुर किये ले लिया |
जैसे वो दोनों किसी सम्मोहन के वशीभूत हो !!!
मुखिया उर्फ राव मन ही मन खुश होते हुए कुछ विचार कर रहा था | आज से पन्द्रह दिन के पश्चात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि में जन्म लिये नवजात की बलि से मेरे अराध्य पुनः जीवित होगें एंव शमशान की अभिमंत्रित राख इस महिला एंव उसके पति को देकर सम्मोहित कर लिया है अब ये वही करेंगे जो मैं कहूंगा .... हा.. हा.. हा
क्रमशः
Punam verma
19-Apr-2022 11:28 AM
Baba re मुखिया की योजना काफी खतरनाक लगती है ।
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shweta soni
19-Apr-2022 12:21 PM
Ji , 😊
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Shrishti pandey
18-Apr-2022 02:43 PM
Waah bahut khoob part
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shweta soni
19-Apr-2022 12:22 PM
Thank u
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Rohan Nanda
16-Apr-2022 11:54 AM
बहुत रुचिकर कहानी है आपकी
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shweta soni
16-Apr-2022 12:07 PM
धन्यवाद आपका
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